रामायण किसने लिखी: आदिकाव्य रामायण (रामचरितमानस) को संस्कृत भाषा में महर्षि वाल्मीकि जी ने आज से हजारों साल पहले त्रेता युग में लिखा था। यह रचना बाल्मिकी जी ने ईसा के जन्म से 400 साल पहले लिखी थी। भगवान राम के जीवन से जुड़ी रामायण हिंदुओं के पवित्र ग्रंथों में से एक है। जिससे भगवान राम के पीताभक्ति, त्याग, पत्नी स्नेह, भाई प्रेम, चरित्र, बुराई के संहारक, दया आदि का पता चलता है।
बाल्मिकी की रामायण का पूरा नाम “रामचरितमानस” है।
रामायण किसने लिखी और कब लिखी थी?
रामचरितमानस की रचना तुलसी दास ने अवधि भाषा में लगभग 2700 साल पहले की थी। तथा रामायण को महर्षि बाल्मीकि जी ने संस्कृत में लिखी थी। रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को लगभग 02 साल, 07 महीने और 26 दिन लगे थे। रामचरितमानस में 24000 श्लोक, 500 सर्ग तथा 07 कांड का वर्णन है।
मान्यता है की भगवान बाल्मिकी तथा तुलसीदास से भी पहले रामायण को सर्वप्रथम “हनुमान जी” ने लिखा था।
रामायण से सनातन धर्म के भगवान श्री राम के आदर्श जीवन के बारे में पता चलता है। भगवान राम तथा रावण के युद्ध के बारे में पता चलता है। तथा रावण पर विजय प्राप्त करने और 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम के वापस अयोध्या लौटने की खुशी में दिवाली मनाई जाती है। रामायण अधर्म पर धर्म की विजय तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
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रामचरितमानस का महत्व
धार्मिक महत्व- आदि कवि महर्षि वाल्मीकि रामायण में भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम के चरित्र तथा आदर्श का वर्णन किया है। हिंदू धर्म के लोग भगवान राम को अपना पूर्वज मानते है तथा इनके प्रति आस्था रखते है।
रामचरितमानस हमे अच्छे बुरे में अंतर समझाता है जीवन में आने वाली कठिनाइयों से लड़कर धर्म और कर्तव्य का पालन करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह ग्रन्थ समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा का श्रोत है।
भारतीय सांस्कृतिक में रामायण का स्थान
रामायण नहीं भारतीय समाज के जीवन मूल्यों, आदर्शों, परंपराओं तथा आस्था को आकार दिया है। रामचरितमानस से ही हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समस्त जीवन के बारे में पता चलता है रामचरितमानस ही हमें बताता है कि हमारी संस्कृति कितनी प्राचीन तथा पूजनीय है।
रामायण से ही हमें लक्ष्मण जैसे भाई तथा हनुमान जैसे निस्वार्थ भक्ति की प्रेरणा मिलती है। भारतीय समाज में “मर्यादा पुरुषोत्तम राम” की नैतिकता दिखती है।
महर्षि बाल्मिकी का जीवन परिचय / बाल्मिकी के पूर्व जीवन का वर्णन तथा आध्यात्मिक परिवर्तन
महर्षि वाल्मीकि को “आदि कवि” तथा रामायण को “आदि काव्य” कहा जाता है। डाकू रत्नाकर अपने परिवार का पेट भरने के लिए जंगल से गुजरने वाले राजगीरों को लूटता और उनकी हत्या कर देता था जंगल के रास्ते जाने से सभी राज्यवासी डरते थे।
यहां तक की राजा ने भी प्रजा से जंगल के रास्ते जाने से मना कर दिया था।
उस समय डाकू रत्नाकर का भय पूरी प्रजा में था एक बार की बात है भगवान नारद जंगल के रास्ते जा रहे थे तभी रास्ते में डाकू रत्नाकर ने उनका रास्ता रोक लिया और बोला कि तुम अपने सारे कपड़े और सोने चांदी के आभूषण उतरकर मुझे दे दो और मरने के लिए तैयार हो जाओ।
तभी नारद जी बोले क्या तुम यह जो पाप कर रहे हो यह किसके लिए कर रहे हो, उसने बोला मैं पापी नहीं हूं मैं सिर्फ अपनी परिवार का पेट भरने के लिए यह कर रहा हूं। तो नारद बोले जिस परिवार के लिए तुम यह कर रहे हो। क्या वह तुम्हारे बाप में भागीदार होंगे। रत्नाकर बोल हा क्यों नहीं, मैं उनके लिए कर रहा हूं तो वह भी मेरे बाप का भागी अवश्य होंगे।
तो नारद जी बोले ठीक है तो पहले तुम अपने परिवार से पूछ कर आओ कि इस पाप में वे तुम्हारे भागीदार हैं अथवा नहीं। तब मैं अपने सारे आभूषण और वास्तु तुम्हें दे दूंगा। डाकू रत्नाकर अपने परिवार के पास गया और उसने पूछा की क्या मैं जो पाप कर रहा हूं उस पाप में वे सभी भागीदार होंगे। उसके परिवार ने साफ मना कर दिया। फिर डाकू रत्नाकर को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भगवान नारद के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगा।
और वहीं रत्नाकर डाकू बाद में महर्षि वाल्मीकि नाम से प्रसिद्ध हुए और रामायण महाकाव्य की रचना की।
रामायण के सात कांड
महाकाव्य रामायण के सात कांड इस प्रकार हैं।
- बालकांड
- अयोध्याकांड
- आरण्यकांड
- किष्किन्धाकाण्ड
- सुन्दरकाण्ड
- लंकाकांड
- उत्तरकांड
रामायण के सात कांड तथा उसमे वर्णित घटनाओं वर्णन
बालकांड – भगवान राम का बचपन से लेकर विवाह तक की कथा का वर्णन मिलता है।
अयोध्याकांड- इस कांड में भगवान राम के राज्याभिषेक से लेकर वनवास जाने तक की कथा का वर्णन मिलता है।
आरण्यकांड- पंचवटी में निवास तथा शूर्पणखा से युद्ध, माता सीता का हरण तथा भगवान जटायु और रावण के युद्ध का वर्णन मिलता है।
किष्किन्धाकाण्ड- प्रभु श्री राम की सुग्रीव से मित्रता तथा बाली वध का वर्णन मिलता है।
सुन्दरकाण्ड- इस कांड में हनुमान जी भगवान राम सा संदेश लेकर माता सीता के पास जाते हैं और उनको सांत्वना देते है। वहीं रावण को माता सीता को रिहा करने का आदेश देते हैं। तथा अशोक वाटिका को जलाने का वर्णन किया गया है।
लंकाकांड (युद्धकांड)- युद्ध कांड में भगवान श्री राम और रावण के बीच के युद्ध का वर्णन किया गया है।
उत्तरकांड- उत्तराकांड रामायण का सबसे अंतिम कांड है इसमें भगवान श्री राम को अयोध्या लौटने तथा राजा बनने के वर्णन के साथ-साथ माता सीता की अग्नि परीक्षा तथा वनवास जाने की घटनाओं का वर्णन किया गया है।
रामचरितमानस का भारतीय समाज, संस्कृति तथा धर्म पर प्रभाव
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित यह महाकाव्य भारतीय समाज तथा संस्कृति का आईना माना जाता है इस महाकाव्य का प्रभाव धार्मिक कार्य पर ही नहीं बल्कि इसके अलावा भारतीय संस्कृति तथा समाज पर भी गहरा प्रभाव किया है।
रामचरितमानस भारतीय समाज में मौजूद विभिन्न धर्म, वर्ग तथा जातियों में एकता का प्रतीक माना जाता है इस महाकाव्य के माध्यम से विभिन्न वर्ग तथा जातियों के लोग एक साथ मिलकर प्रेम से रहते हैं। तथा विभिन्न त्योहार भी साथ में मानते हैं भारतीय समाज के लोग भगवान श्री राम की तरह आदर्श के मार्ग पर चलना चाहते हैं।
भगवान श्रीराम के न्याय, धर्म, नैतिकता तथा कर्तव्यपरायणता का भारतीय समाज के लोग पालन करते हैं। भारतीय नैतिकता में रामायण का छवि झलकती है।
FAQ – रामायण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
Ans. रामायण को महर्षि वाल्मीकि जी ने लिखी है।
Ans. रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है।
Ans. सबसे पहले रामायण हनुमान जी ने लिखी थी।
Ans. रामायण के 7 कालखंड है। बालकांड, अयोध्याकांड, आरण्यकांड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकांड, युद्धकांड (लंकाकांड), उत्तराकांड।
Ans. रामचरितमानस में 2400 श्लोक, 500 सर्ग तथा 7 कांड है।
Ans. भगवान श्रीराम भाई लक्ष्मण तथा पत्नी सीता समेत 14 साल के लिए वनवास गए थे।
Ans. प्रभु श्रीराम का सुग्रीव से मित्रता।
Ans. रावण लंका का राजा था।
Ans. रावण की पत्नी का नाम मंदोदरी था।
Ans. हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज है।
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