Holika Dahan का त्योहार हम सभी भारतवासी प्रति वर्ष मनाते है लेकिन इससे पहले हम यह जानने के लिए उत्सुक रहते है की होलिका दहन 2024 में कब है। हम इस लेख की सहायता से होलिका दहन से जुड़े सभी सवालों पर बात करने वाले है जैसे तारीख, महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त इत्यादि।
Holika Dahan 2024 में कब है?
होलिका दहन हर वर्ष होली से एक दिन पहले पड़ता है होलिका दहन का त्योहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतिक है। होलिका दहन इस साल 24 मार्च, दिन रविवार को पड़ रहा है।
त्योहार का नाम | होलिका दहन (होली) |
तिथि | 24 मार्च |
होली कब है? | 25 मार्च |
शुभ मुहूर्त | 24 मार्च 09:54 AM से 25 मार्च 12:29 PM |
प्रतिक | असत्य पर सत्य की विजय |
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2024
इस वर्ष 2024 में होलिका दहन के लिए एक खास मुहूर्त बन रहा है फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर ख़त्म होगा।
इस शुभ मुहूर्त के दौरान आप किसी भी समय होलिका दहन कर सकते है। वैसे होलिका दहन की तिथि 24 मार्च है इसलिए आप लोग 24 को ही होलिका दहन करे क्योकि अगले दिन 25 मार्च को होली है।
होलिका दहन का इतिहास कैसे शुरू हुआ यह त्योहार जानें।
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक दुराचारी राजा रहता था वह स्वयं कोई भगवान मानता था और इसके भक्त सिर्फ उसकी हि पूजा करते थे हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था जो भगवान विष्णु का भक्त था।
हिरण्यकश्यप यह चाहता था। कि उसकी प्रजा के लोग सिर्फ उसकी पूजा करें लेकिन उसके घर में ही उसका बेटा भगवान विष्णु का भक्त था जो उसे किसी भी सूरत में मंजूर नहीं था उसने प्रहलाद को लाख मना किया लेकिन प्रहलाद विष्णु भगवान की पूजा करना नहीं बंद किये।
सभी प्रयासों के बाद हिरण्यकश्यप थक हार कर भक्त प्रहलाद को मारने का निर्णय लिया। हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों उपाय किये।
लेकिन प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ अंत में हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर भक्त प्रहलाद को आग में भस्म करने का षड्यंत्र रचा।
दरअसल होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती इसी का फायदा उठाकर होली का अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से ठीक इसका उलटा हुआ।
होलिका जिसको वरदान प्राप्त था वह जलकर राख हो गई तथा प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ।
इसलिए असत्य पर सत्य की विजय के रूप में होलिका दहन का त्यौहार मनाया जाता है।
होलिका दहन का महत्व: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक
होलिका दहन त्योहार का एक खास महत्व है यह त्योहार बुराई पर अच्छाई तथा असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार से हमें बुराई से लड़ने की प्रेरणा मिलती है।
Holika Dahan का त्योहार हम सभी के मन पर एक गहरा प्रभाव छोड़ता है। हमें जीवन में साहस से आगे बढ़ने की ताकत देता है।
होलिका दहन पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन ही होलिका को गांव के बाहर गढ्ढा खोदकर गाड़ दिया जाता है क्योकि इस दिन से होली एक महीने १० दिन रह जाती है।
होलिका दहन वाले दिन शाम को धूम धाम से होलिका को जलाने की तैयारी होती है। होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ी, घास-पूस तथा उपले इकट्ठा कर एक बड़ा सा ढेर बनाया जाता है।
फिर सभी लोग पुआल से बनी लोहड़ी (होलडी) को लेकर जाते है और होलिका जलाते है।
घर में माताएं, दादी तथा नानी उप्टन से बच्चों कि मालिश करती है। जो की बहुत शुभ माना जाता है।
फिर मालिश किये गए उप्टन को होलीके के साथ जला दिया जाता है।
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होलिका दहन की पूजा सामग्री:-
- कड़ी, घास, गोबर के उपले, आटे से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति
- फूल, रोली, उपटन, हल्दी, कुमकुम, गंगा जल
- दीप, अगरबत्ती, कुछ सिक्के, सरसो का तेल
पूजा करने की विधि:-
- होलिका दहन के लिए एक साफ व खुली जगह चुननी चाहिए। जहाँ लकड़ी, गोबर के उपले और घास से एक ढेर आसानी से बनाये जा सके।
- स्नान करके तथा साफ कपड़ा पहन कर ही होलिका को अग्नि लगाए।
- नारियल, तेल, घी, अगरबत्ती, गंगाजल, गेहू की सात बालियां आदि सामग्री अग्नि में अर्पित करें।
- ढेर में आग लगाने से पहले परिक्रमा करे और अपने मंगलमय जीवन की कामना करें।
- होलिका की राख से तिलक लगाए और राख को घर लाये।
होलिका दहन के बारे में रोचक तथ्य
- इस दिन पुरे भारतवर्ष में होलिका जलाई जाती है।
- प्रह्लाद को जलाने की साजिश में होलिका खुद ही जलकर राख हो गयी।
- प्रह्लाद भगवान विष्णु के सच्चे भक्त थे।
- होलिका दहन नकारात्मक विचारो, कर्मो तथा भावनाओं को त्यागने का त्योहार है।
- इस दिन गांव, शहर तथा मोहल्ले के लोग एक साथ मिलकर होलिका जलाते है।
- होलिका दहन का त्योहार भगवान विष्णु की प्रेम तथा प्रह्लाद की भक्ति का साक्षी है।
- होलिका जलने पर निकलने वाले धुएं से प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
- यह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
- होलिका अग्नि में बच्चे पटाखे जलाते है।
होलिका दहन त्योहार मनाते समय कौन सी सावधानियाँ बर्तनी चाहिए
यह त्योहार मनाते समय हमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- होलिका दहन के दिन स्नान करके साफ़ कपडा पहनना चाहिए।
- यह त्योहार मनाते समय किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- जब ढेर में आग लगाए तो सावधानी पूर्वक लगाए जिससे किसी प्रकार से जान-माल की हानि न हो।
- घर को साफ करने के साथ-साथ मन को भी साफ रखना चाहिए।
- Holika Dahan के समय सभी से भाई चारा का भाव रखना चाहिए।
FAQ:- होलिका दहन से सम्बंधित लोगो द्वारा पूछे गए प्रश्न
उत्तर:- होलिका 24 मार्च को जलेगी।
उत्तर:- होलिका दहन असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर:- 2025 में होली 14 मार्च को है।
- छठ पूजा कब है? 2025, 2026, 2027, 2028, 2029 तथा 2030 में
- 2025 में छठ पूजा कब है? 27 या 28 अक्टूबर, शुभ मुहूर्त, नहाय खाय।
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