जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagnnath Ratha Yatra 2024) विश्व की सबसे प्रसिद्ध रथ यात्रा है उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है इस रथ यात्रा को देखने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु भारत आते हैं और इस रथ यात्रा का दर्शन करते हैं मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति अगर इस यात्रा में शामिल हो जाए उसे 100 महायज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है तो चलिए हम जानते हैं कि जगन्नाथ जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास क्या है तथा इसके क्या महत्व है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व क्यों मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार देवी सुभद्रा ने एक बार नगर घूमने की इच्छा जाहिर की थी तभी भगवान जगन्नाथ तथा बलराम अपनी छोटी बहन सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए गए थे वहीं उनके घर से 3 किलोमीटर की दूरी पर उनके मौसी गुंडीचा का घर था वहां वे लोग जाकर एक हफ्ते तक रुके थे। तथा उनकी मौसी ने अपने बच्चों को बहुत दुलार प्यार दिया था तभी से यह परंपरा चली आ रही है इसलिए हर साल जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया जाता है तथा भगवान जगन्नाथ, बलराम तथा देवी सुभद्रा को 3 किलोमीटर दूर उनके मौसी के बने मंदिर के पास ले जाया जाता है।
दोनो भगवान तथा देवी सुभद्रा को लकड़ी के बने बड़े-बड़े रथों पर विराजमान करके ले जाया जाता है इस रथ को ले जाने के लिए भक्तगण इसकी राशियों को खींचते हैं तथा रथ को आगे लेकर जाते हैं।
जगन्नाथ यात्रा कब निकाली जाती है?
भगवान जगन्नाथ यात्रा के आयोजन का इंतजार सभी सनातन धर्म के लोगों को बेसब्री से रहता है।
जगन्नाथ यात्रा का त्यौहार हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है।
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2024 में जगन्नाथ यात्रा कब है?
2024 में 7 जुलाई से जगन्नाथ यात्रा शुरू होगी। जिसके परिणाम स्वरुप भगवान जगन्नाथ को उनके मौसी के घर ले जाया जायेगा।
जगन्नाथ यात्रा का धार्मिक महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा के परिणाम स्वरुप देवी सुभद्रा साल में एक बार नगर भ्रमण पर निकलती हैं पुराणों की मान्यता अनुसार जो भी व्यक्ति यात्रा में शामिल होता है वह पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है तथा जो व्यक्ति रथ यात्रा के साथ जगन्नाथ भगवान के मौसी के घर जाता है तथा वहां से वापस आता है तो वे व्यक्ति स्वयं भगवान विष्णु के समीप जाते हैं।
इसलिए देश विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मे शामिल होने के लिए आते है।
जगन्नाथ रथ यात्रा मे दिव्य रथ के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी
भगवान जगन्नाथ के रथ को बनाने के लिए नीम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है स्वस्थ नीम के पेड़ का चयन बसंत पंचमी के दिन किया जाता है स्वस्थ पेड़ का चयन करने के लिए एक समिति का गठन किया जाता है। यह समिति यह तय करती है कि कौन सा पेड़ रथ के लिए स्वस्थ व सही होगा। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की रथ बनाने के लिए किसी प्रकार के किले या धातु का प्रयोग नहीं किया जाता है सारा काम लकड़ी से ही होता है।
भगवान जगन्नाथ के रथ की सम्पूर्ण जानकारी
प्रभु जगन्नाथ जी का रथ 16 पाहियों का बना होता है इस रथ मे कुल 832 नीम की लकड़ी के टुकड़ो का इस्तेमाल होता है। और इस रथ की सम्पूर्ण ऊंचाई 44.2 फिट होती है। भगवान जगन्नाथ की रथ को पीले वह लाल रंग के कपड़े से सजाया जाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ तीनों रथों में सबसे बड़ा होता है इस रथ पर भगवान जगन्नाथ के अलावा नरसिंह देव व हनुमान जी का प्रतिक अंकित होता है।
भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे होता है।
बालभद्र के रथ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
भगवान बलभद्र का रथ 43.3 फीट ऊंचा होता है यह रथ यात्रा में सबसे आगे होता है क्योंकि बलभद्र सबसे बड़े भाई है इसलिए यात्रा का नेतृत्व वही करते हैं इस रथ को हरे और लाल रंग से सजाया जाता है। इस रथ मे 14 पहियें लगे होते हैँ।
माता सुभद्रा के रथ में सम्पूर्ण जानकारी
देवी सुभद्रा का भगवान बलराम तथा भगवान कृष्ण के रथ के बीच होता है इनके रथ की ऊंचाई 42.3 फिट होती है तथा इस रथ को सजाने में मुख्यतः काले रंग का प्रयोग किया जाता है। इस रथ को बनाने मे 593 लकड़ी के टुकड़ो का प्रयोग होता है। इस रथ में कुल 12 पहिए लगे होते हैं।
रथों के बारे में जानकारी:-
2024 में रथ यात्रा कब है? | 7 जून को |
भगवान जगन्नाथ के रथ को क्या कहते है? | नन्दिघोषा (Nandighosa) |
प्रभु बलराम के रथ को क्या कहते है? | दर्पदलन (Darpadalan) |
देवी सुभद्रा के रथ को क्या कहते है? | तालध्वजा (Taladhwaja) |
भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई, लड़की, पहिये | 44.2 फिट, 832 लकड़ी, 16 पहिये |
भगवान जबालभद्र के रथ की ऊंचाई, लड़की, पहिये | 43.3 फीट, 763 टुकड़े, 14 पहिये |
माता सुभद्रा के रथ की ऊंचाई, लड़की, पहिये | 42.3 फिट, 593 लकड़ी, 12 पहिए |
जगन्नाथ मंदिर के बारे में आश्चर्यचकित करने वाली बातें
मैं जगन्नाथ टेम्पले के बारे जो रहस्यमयी बातें आपको बताने जा रहा हूँ उनको विज्ञान भी नहीं समझ पाया है।
हमारे भारत में ऐसा अद्धभूत चमत्कार जसके से पूरी दुनिया हैरान है।
1. जगन्नाथ टेंपल के ऊपर जो फ्लैग है वो हवा के अपोजिट डायरेक्शन में लहराता है।
2. मंदिर के ऊपर जो चक्र है उसे किसी भी किसी एंगल से देख लो आपकी ही साइड में दिखेगा।
3. अक्सर समुद्री तट पर हवा दिन के समय समुद्र से भूमि की और चलती है और शाम में भूमि से समुद्र की और यहां पर यह चीज एकदम से उल्टी है।
4. आज तक इसके ऊपर कोई भी चिड़ियाँ आकर नहीं बैठी है।
5. मंदिर के ऊपर न तो चिड़ियाँ न ही कोई हेलीकाप्टर उड़ सकता है।
6. अगर आप खड़े होते हो तो आपको समुद्र की लहरों की आवाज आई पर मंदिर के अंदर जैसे आप जाते हो तो वो आवाज बिल्कुल गायब हो जाती है।
7. यहाँ कितने भी लोग आ जाये इस मंदिर का प्रसाद कभी कम नहीं हुआ है।
8. मंदिर के उपर का झंडा हर रोज नया बदला जाता है।
9. अगर झंडा नहीं बदला गया तो यह मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जायेगा।
10. लाखों लोग यहाँ भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं।
11. 17 बार इस मंदिर पर मुगलों तथा अंग्रेजों ने आक्रमण किये लेकिन कुछ नहीं हुआ मंदिर को।
12. इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू लोग ही प्रवेश कर सकते है।
13. इस मंदिर में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को भी नहीं प्रवेश मिला था क्योकि वो हिन्दू नहीं थी।
14. 2024 में 7 जुलाई को यात्रा शुरू होगी।
15. तीनों रथों में नीम की लकड़ी का इस्तेमाल होता है।
16. रथ में न ही किल न ही किसी प्रकार की धातु का प्रयोग होता है।
जगन्नाथ यात्रा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
उत्तर:- यात्रा प्रारम्भ होकर भगवान मौसी के गुंडिचा मंदिर पहुँचती है और वह 7 दिन रूकती है। कुल मिलाकर 10 दिन जगन्नाथ यात्रा चलती है।
उत्तर:- इसका मुख्य कारण तो विज्ञान को भी नही पता है।
लेकिन अभी तक एक भी पक्षी जगन्नाथ मंदिर पर नहीं बैठा है।
उत्तर:-प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।