शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से क्या होता है?

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शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से दुःख तथा दरिद्रता दूर होती है। सावन के सोमवार के दिन आपको शिव मंदिरों मे पुरुषों और महिलाओं को भगवान शिव की पूजा करते हुए देख सकते हैं। भक्त बड़ी हि श्रद्धा भाव तथा विधि विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं। जिसमे एक बात सभी मे समान है सभी भक्त भगवान शिव को बेलपत्र जरूर चढ़ाते है। और आज हम इसी के बारे मे जानने वाले है की शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से क्या होता है?

शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से क्या होता है?

सुबह सुबह शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र अमृत के समान होता है। शिवलिंग पर चढ़े हुए बेलपत्र खाने से विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं।

  • रोगों से छुटकारा मिलता हैं।
  • शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
  • अधिक गुस्सा करने वाले लोग इसका सेवन गुस्सा शांत करने के लिए कर सकते हैं।
  • शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।
  • कई वर्षों से घर में चल रही धन की समस्या दूर होती है तथा धन की प्राप्ति होती है।
  • आप कड़ी मेहनत कर रहे हैं फिर भी आपको नौकरी नहीं मिल रही है तो यह बेलपत्र खाने से आपकी नौकरी पाने के द्वार खुल जाएंगे।
  • अगर हम शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाएं तो यह हमारे मन को शांत करता है इससे मन एकाग्र होता है तथा भगवान की भक्ति में अधिक मन लगता है।
  • यह अकाल मृत्यु से रक्षा करता है

अगर आप जीवन में और अधिक सुखी रहना चाहते हैं तो आप अधिक से अधिक बेलपत्र के पेड़ लगाए तथा उनकी सेवा करें इससे भगवान शंकर प्रसन्न होंगे और आपके जीवन में आने वाले सभी प्रकार के दुखों को दूर करेंगे तथा आपको जीवन भर सुख की प्राप्ती होगी।

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बेलपत्र कब तोड़े

भगवान की भक्ति तथा पूजा लोग विधि विधान से करते हैं लेकिन एक काम लोग करना भूल जाते हैं जिससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त नहीं होती है तो वह लोग सोचते हैं कि क्या कमी रह गई तो लिए हम आपको बताते हैं।

क्योकि भगवान शिव की कृपा नहीं प्राप्त होती है।

लोग बेलपत्र तोड़ते समय बहुत बड़ी गलती करते हैं उन्हें नहीं पता होता है कि बेलपत्र कब तोड़ना चाहिए जिससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।

इसलिए हम आपको बताते हैं कि बेलपत्र तोड़ने का सही समय क्या है।

बेलपत्र दोपहर 12:00 के बाद नहीं तोड़ना चाहिए अगर आपको बेलपत्र तोड़ना ही है तो आप सुबह बेलपत्र दोपहर के 12 बजे से पहले तोड़ कर रख लीजिए।

सोमवार के दिन भूलकर भी आप बेलपत्र ना तोड़े क्योंकि सोमवार के दिन खुद भगवान शिव बेल के पेड़ में निवास करते हैं।

जब भी आप बेलपत्र तोड़े तो सिर्फ बेलपत्र तोड़े उसकी टहनिया ना तोड़े क्योंकि टहनिया तोड़ने से वंश घटना है।

इन 8 दिन बेलपत्र तोड़ने से बचे

सोमवार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, अमावस्या पूर्णिमा तथा संक्रांति के दिन कभी भी बेलपत्र नही तोड़ना चाहिए।

क्योकि इस दिन स्वयं भगवान शिव बेल के पेड़ मे निवास करने आते है।

शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है।

समुद्र मंथन के समय 14 रत्नों के साथ-साथ हलाहल नामक विष निकला था इस विष की ज्वाला इतनी तेज थी की इसके प्रभाव से चारों दिशाएं जलने लगी।

पृथ्वी से लेकर स्वर्ग लोक तक हाहाकार मच गया। सभी देवी देवता इससे बचाव के लिए परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे।

तब भगवान शिव ने अपने हाथों पर लेकर इस विष का पान किया और इस विष को अपने गले में धारण कर लिया।

जिसकी वजह से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया यह विष इतना जहरीला था कि इसके तेज से भगवान शिव के शरीर का ताप बढ़ने लगा तथा सृष्टि का विनाश होने लगा।

इसके उपाय के लिए देवताओं में ऋषि मुनियों से सुझाव मांगा तो उन्होंने बेलपत्र भगवान शिव को खिलाने का सुझाव दिया।

तब देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र पिलाया तब जाकर उनके शरीर का ताप शांत हुआ।

तभी से भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद है।

इसलिए जब भी भगवान शिव की पूजा की जाती है तो उनको बेलपत्र अवश्य चढ़ाया जाता है

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

बहुत से लोग बेलपत्र चढ़ाने का नियम नहीं जानते हैं वह मंदिर में जाते हैं और शिवलिंग पर किसी भी अवस्था मे बेलपत्र रख देते हैं।

लेकिन आपको ऐसा नही करना चाहिए। बेलपत्र हमेशा सीधे भाग की ओर से चढ़ाना चाहिए।

यानी बेलपत्र को हमेशा चिकनी भाग की ओर से चढ़ाना चाहिए।

जब आप बेलपत्र तोड़ते हैं तो बेलपत्र का जो भाग ऊपरी तरफ होता है इसी ओर के भाग को शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।और बेलपत्र का मुख हमेशा शिवलिंग की तरफ होना चाहिए।

एक दिन पहले हि बेलपत्र तोड़ कर रख लें।

सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए इसलिए सावन के महीने में आप रविवार के दिन ही बेलपत्र तोड़ कर रख ले वह भी 12:00 बजे से पहले क्योंकि 12:00 के बाद बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। आप यह मत सोचिए कि एक दिन पहले बेलपत्र तोड़ने से बेलपत्र ताजा नहीं होगा।

शिव पुराण के अनुसार बेलपत्र तोड़ने के 3 महीने तक स्वच्छ तथा ताजा माना जाता है।

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए जैसे 3, 5, 7, 9 तथा 11.

सम संख्या में कभी भी बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

11 से अधिक बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

FAQ- शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से क्या होता है इससे सम्बंधित लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न

प्रश्न.1. शिवलिंग पर जल किस दिशा में मुँह करके जल देना चाहिए?

उत्तर– शिवलिंग पर हमें उत्तर दिशा में मुँह करके जल देना चाहिए।

प्रश्न.2. बेलपत्र का कौन सा भाग शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

उत्तर- बेलपत्र को चिकने भाग की तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

प्रश्न.3. क्या रविवार के दिन बेलपत्र तोड़ सकते हैं?

उत्तर- हां रविवार के दिन बेलपत्र तोड़ सकते है लेकिन सोमवार को नहीं।

प्रश्न.4. क्या पूर्णिमा वाले दिन बेलपत्र नहीं तोडना चाहिए।

उत्तर- इन आठ दिन बेलपत्र नहीं तोडना चाहिए सोमवार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, अमावस्या पूर्णिमा तथा संक्रांति।

प्रश्न.5. क्या हम एकादशी पर बेलपत्र तोड़ सकते हैं?

उत्तर- इस दिन छोड़कर हम सभी दिन बेलपत्र तोड़ सकते है सोमवार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, अमावस्या पूर्णिमा तथा संक्रांति।

प्रश्न.6. क्या व्रत में बेलपत्र खा सकते हैं?

उत्तर- सोमवार के दिन बेलपत्र का भोग सिर्फ शिव जी को लगाया जाता है।

प्रश्न.7. शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए।

उत्तर- शिवलिंग पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए। शाम के समय नहीं।

प्रश्न.8. बेल पत्र पर ओम नमः शिवाय कैसे लिखें?

उत्तर- बेल पत्र पर ओम नमः शिवाय कुमकुम या चन्दन से लिखना चाहिए।

प्रश्न.9. तुलसी के पत्ते किस दिन नहीं तोड़ने चाहिए।

उत्तर- सोमवार और आमवस्या के दिन नहीं तुलसी के पत्ते नहीं तोडना चाहिए।

प्रश्न.10. बेल के पत्ते किसको दर्शाते हैं?

उत्तर- बेलपत्र भगवान शिव की तीनों आँखों को दर्शाते हैं।

प्रश्न.11. शंकर भगवान की शादी कब हुई थी?

उत्तर- भगवान शंकर की शादी अगहन मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि (महाशिवरात्रि) को हुआ था।

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