एकादशी कब है? (Ekadashi Kab Hai) यह प्रश्न सभी सनातन धर्म के लोगो के मन मे बना रहता है। क्योकि कोई भी एकादशी का व्रत छुट न जाये। साल मे 24 अकादशी जो पड़ती है।
सनातन धर्म में व्रत का बहुत ही महत्व होता है हम सभी यह जानते हैं कि उपवास रखना बहुत हि लाभकारी माना जाता है।
एकादशी व्रत भगवान श्री हरि भगवान विष्णु को समर्पित है
प्रत्येक महीने में दो एकादशी मनायी जाती है। महीने के प्रत्येक शुक्ल पक्ष तथा प्रत्येक कृष्ण पक्ष में एकादशी मनाई जाती है। एकादशी व्रत लगभग 48 घंटो तक रहता है।
एकदशी व्रत के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र का जाप किया जाता है।
एकादशी कब है? Ekadashi Kab Hai?
प्रत्येक महीने में एकादशी व्रत दो बार पड़ता है एक कृष्ण पक्ष तथा एक शुक्ल पक्ष में। इस साल 24 एकादशी का व्रत पड़ रहा है। 2024 की पहली अकादशी 20 फरवरी को है।
साल की अगली एकादशी विजया एकादशी है जो 6 मार्च 2024 को पड़ रही है।
एकादशी व्रत कैसे रखें? नियन जानें।
एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है,जो इस प्रकार हैं।
- दशमी तिथि को आप सूर्यास्त के बाद से व्रत की शुरुआत करें।
- एकादशी तिथि को सुबह में स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
- दिन भर व्रत रखें और जल, दूध, फल आदि का सेवन करें।
- द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
एकादशी व्रत के दौरान क्या करें?
(Ekadashi Vrat) एकादशी व्रत के दौरान श्री हरि भगवान विष्णु का नाम जपें, भजन गाएं और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें। दान-पुण्य करे गरीबों तथा ब्राह्मणों की मदद करें। हो सके तो आप दिन भर असहायों की मदद करें।
आप जितना पुण्य करेंगे उतने ही आपके पापों का नाश होगा।
एकादशी का महत्व
Ekadashi Vrat रखने पर सारे दुखो से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु की कृपा होती है धन, सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। मनुष्य नीच योनि से छुटकारा पाकर उच्चतम योनि में प्रवेश करता है। भगवान विष्णु अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते है।
इसलिए व्रत करते समय सारे विधि विधान से व्रत करना चाहिए। उपासना हेतु सभी विषयो का ध्यान रखना चाहिए।
एकादशी का महत्व
- सभी पापों का नाश
- मोक्ष व सुख की प्राप्ति
- मनोकामनाओं की पूर्ति
- आध्यात्मिक उन्नति
- बिमारियों से छुटकारा तथा स्वास्थ में लाभ
एकादशी का वैज्ञानिक परिणाम
डॉक्टर भी सलाह देते है की स्वस्थ रहने के लिए सभी को उपवास रखना बहुत जरूरी है आप महीने में एक बार उपवास करते हैं तो आपका शरीर, मन तथा मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है।
लेकिन हमारे सनातन धर्म में उपवास रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है अकादशी का उपवास रखने से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है और यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
अकादशी व्रत कब शुरु करना चाहिए?
अकादशी माता भगवान श्री हरि भगवान विष्णु के शरीर से माघ शीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना अकादशी के दिन प्रकट हुयी थी।
इसलिए उत्पन्ना अकादशी से अकादशी व्रत शुरु करना सबसे उत्तम माना गया है।
देखे साल में कितनी एकादशी कब-कब पड़ती है। (2024 ki ekadashi ki list)
महीनों के नाम | पक्ष | एकादशी का नाम |
चैत्र | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | पापमोचनी कामदा |
वैशाख | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | वरुथिनी मोहिनी |
ज्येष्ठ | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | अपरा निर्जला |
आषाढ़ | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | योगिनी देवशयनी |
श्रावण | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | कामिका पवित्रा |
भाद्रपद | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | अजा पद्मा |
आश्विन | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | इंदिरा पापकुंशा |
कार्तिक | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | रमा देवप्रबोधिनी |
मार्गशीर्ष | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | उत्पत्ति मोक्षदा |
पौष | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | सफला पुत्रदा |
माघ | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | षट्तिला जया |
फाल्गुन | कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष | विजया आमलकी |
एकादशी कितने प्रकार की होती है?
एक साल में कम से कम 24 तथा अधिक से 26 एकादशी पड़ती है। इसलिए कुल 26 एकादशी के प्रकार होते है। जो इस प्रकार हैं।
क्रम संख्या | एकादशी के नाम |
1. | कामदा एकादशी |
2. | वरुथिनी एकादशी |
3. | मोहिनी एकादशी |
4. | अपरा एकादशी |
5. | निर्जला एकादशी |
6. | योगिनी एकादशी |
7. | देवशयनी एकादशी |
8. | कामिका एकादशी |
9. | पुत्रदा एकादशी |
10. | अजा एकादशी |
11. | परिवर्तिनी एकादशी |
12. | इंदिरा एकादशी |
13. | पापांकुशा एकादशी |
14. | रमा एकादशी |
15. | देव प्रबोधिनी एकादशी |
16. | उत्पन्ना एकादशी |
17. | मोक्षदा एकादशी |
18. | सफला एकादशी |
19. | पुत्रदा एकादशी |
20. | षटतिला एकादशी |
21. | जया एकादशी |
22. | विजया एकादशी |
23. | आमलकी एकादशी |
24. | पापमोचिनी एकादशी |
25. | पद्मिनी एकादशी |
26. | परमा एकादशी |
एकादशी का इतिहास और प्रसिद्ध कथाएं
एकादशी व्रत का प्रचलन महाभारत युग से चला आ रहा है। एकादशी के पौराणिक कथावो तथा इतिहास के अनुसार सबसे पहले पांडव भाइयों में से भीमसेन ने यह व्रत रखा था। इसलिए एकादशी व्रत को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
Ekadashi Vrat से जुड़े 10 रोचक तथ्य
- एकादशी व्रत रखने से मोक्ष्य की प्राप्ति होती है।
- एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है।
- प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिमास होने से 2 और एकादशियाँ बढ़कर कुल 26 हो जाती है।
- कामदा एकादशी का व्रत रखने से राक्षस योनि से छुटकारा मिलता है।
- योगिनी एकदशी का व्रत रखने से सभी पाप दूर हो जाते है और सुख की प्राप्ति होती है।
- परमा एकादशी का व्रत रखने से आर्थिक लाभ मिलता है धन की प्राप्ति होती है।
- कोई भी नियम कानून से एकादशी का व्रत कर सकता है।
- एकदशी को भिमसेन के नाम से भी जाना जाता है।
- निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
- एकादशी व्रत का प्रचलन महाभारत काल से हि है। सबसे पहले धर्मराज युधिष्ठिर ने इस व्रत को रखा था।
FAQ:- लोगों द्वारा पूछे गए एकादशी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
Ans:-मार्च में एकादशी 6 मार्च की सुबह 6:30 पर शुरू होकर 7 मार्च की सुबह 4:13 पर समाप्त होगी।
Ans:- अगस्त में एकादशी 17 अगस्त की सुबह 12 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त की रात को ही 9:32 PM पर समाप्त होगी।
Ans:- निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है?
Ans:- आने वाली एकादशी 06 मार्च को है जो 06 मार्च की सुबह 6:30 पर शुरू होकर 7 मार्च की सुबह 4:13 तक रहेगी।
Ans:- प्रत्येक महीने में 24 एकादशी पड़ती है?
Ans:- एकादशी का व्रत कोई भी रख सकता है अगर वह नियम से रख सकता है तो।
Ans:- सबसे बड़ी एकदशी षटतिला एकादशी है?
निष्कर्ष:-
एकादशी व्रत आध्यात्मिक, आर्थिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का एक सरल रास्ता है। इस Ekadashi Vrat को करने से श्री हरि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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