Govardhan Puja 2024 Date: गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 02 नवंबर 2024 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा मनाने का भारतीय संस्कृत में एक पूजनीय इतिहास है जिसके तहत यह त्यौहार मनाया जाता है। आईए जानते हैं कि Govardhan Puja Kab Hai 2024 में तथा गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है?, गोवर्धन पूजा मनाने के पीछे का इतिहास क्या है।
2024 में Govardhan Puja Kab Hai
गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट त्यौहार भी कहा जाता है इस साल 2024 में 02 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों को देवताओं के राजा इंद्र के प्रकोप से बचाया था इसलिए गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
2025 में गोवर्धन पूजा कब है?
2025 में दीपावली 20 अक्टूबर दिन रविवार के पड़ रही है दिवाली के दूसरे दिन 22 अक्टूबर दिन रविवार को गोवर्धन पूजा मनाया जाएगा।
Govardhan Puja Kab Hai 2026 में
साल 2026 में दिवाली 08 नवंबर दिन रविवार को पड़ रही है। इसके ठीक दूसरे दिन 10 नवंबर दिन मंगलवार को Govardhan puja मनाई जाएगी।
Govardhan Puja Kab Hai 2027
2027 में दिवाली 29 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा 31 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा।
Govardhan Puja 2028 Date
2028 में दिवाली 17 अक्टूबर दिन मंगलवार को है। तथा गोवर्धन पूजा 19 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को है।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
गोकुल में फसल अच्छी होने पर गोकुलवासी अन्नकूट त्यौहार मनाते थे जिसमें भगवान इंद्र की पूजा की जाती थी तथा उन्हें सभी गोकुलवासी अन्न भेंट करते थे। लेकिन कृष्ण जी के समय में कृष्ण जी ने गोकुल वासियों से इंद्र की पूजा करने तथा अन्न भेंट करने से मना कर दिया। जिसका पता देवेंद्र इंद्र को चला जिससे इंद्र क्रोधित होकर लगातार 7 दिनों तक भारी वर्षा करते रहे।
जिससे पूरा गोकुल जलमग्न हो गया इसलिए कृष्ण जी ने गोकुल वासियों की जान बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली उठा लिए। जब इंद्र भगवान को देवताओं ने जाकर समझाया कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं जो पृथ्वी पर अत्याचार को समाप्त करने के लिए जन्म लिए हैं तो इंद्र बहुत शर्मिंदा हुए और उन्होंने श्री कृष्ण से माफी मांग। तभी से कृष्ण जी के कहे अनुसार इंद्र देवता की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है तथा उन्हें अन्न भेंट किया जाता है।
गोवर्धन पूजा कैसे किया जाता है?
यह त्योहार महिलाओं के लिए होता है इस दिन महिलाएं व्रत रखती है। गोवर्धन पूजा वाले दिन गांव की सभी महिलाएं एक खुले स्थान पर एकत्रित होकर गोबर से गोवर्धन पर्वत की मूरत बनाकर उसकी पूजा करती हैं तथा इस पूजा में अन्न भी चढ़ाया जाता है इसलिए इसे अन्नकूट त्यौहार भी कहते हैं।
Govardhan Puja Vidhi 2024
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- व्रत रखने का संकल्प लें।
- गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत, भगवान कृष्ण, गाय तथा ग्वालों की आकृतियां बनाए।
- इन आकृतियों की परिक्रमा कर तिलक लगाए।
- फिर धूप, दीप, अगरबत्ती जलाएं और पूजा करें।
- चावल, फूल, फल, मिठाई, मक्खन, दूध, घी, पूरी, खीर का भोग लगाए।
- पूजा करने के बाद आप सात बार परिक्रमा करें
- पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद को परिवारजनों, मित्रों तथा पड़ोसियों में वितरण करें।
मथुरा में गोवर्धन पूजा
भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का साक्षी गोवर्धन पर्वत की पूजा मथुरा में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
इस दिन गोवर्धन पर्वत पर विशेष प्रकार की व्यवस्था की जाती है मथुरावासी तथा अन्य राज्यों के लोग गोवर्धन पर्वत पूजा के दिन आकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं तथा परिक्रमा करते हैं काफी संख्या में लोगों की भीड़ एकत्रित होती है जो इस बात को दर्शाती है कि आज भी भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की गूंज मथुरा तथा देश भर में सुनाई देती है।
गोवर्धन पर्वत से जुड़े रोचक तथ्य
- गोवर्धन पर्वत मथुरा जिले में स्थित है
- यह वृंदावन से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
- गोवर्धन पर्वत के आस पास भगवान श्री कृष्ण का पूरा बचपन बीता
- आज भी वृंदावन में श्री कृष्ण जन्माष्टमी तथा गोवर्धन पूजा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है
- भगवान श्री कृष्ण के सभी बाल लीलाओं का साक्षी गोवर्धन पर्वत है
- भगवान श्री कृष्ण ने अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को इंद्र के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए उठाया था
- गोवर्धन पर्वत को छप्पन प्रकार का भोग लगाया जाता है
- गोवर्धन पर्वत की 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा की जाती है
- गोवर्धन पर्वत पर आज भी भगवान श्री कृष्ण के पैरों के निशान है
- गोवर्धन पर्वत की मिट्टी तथा पत्थर को बहुत ही पवित्र व पूजनीय माना जाता है
FAQ
Q.1. गोवर्धन पर्वत कहां है?
Ans. गोवर्धन पर्वत भारत के मथुरा जिले के वृंदावन नामक स्थान पर है।
Q.2. गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण ने एक उंगली पर क्यों उठाया था?
Ans. भगवान इंद्र के जल प्रलय प्रकोप से गोकुलवासियों को बचाने के लिए उठाया था।
Q.3. गोवर्धन पर्वत के आसपास की भूमि को क्या कहा जाता है?
Ans. गोवर्धन पर्वत के आसपास की भूमि को ब्रजभूमि कहा जाता है।
Q.4. गोवर्धन पर्वत को किस नाम से जाना जाता है?
Ans. गोवर्धन पर्वत को भक्तजन गिरिराज नाम से जाना जाता है।
Q.5. गोवर्धन पर्वत की कितनी लंबी परिक्रमा की जाती है?
Ans. गोवर्धन पर्वत की 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा की जाती है।
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