सृष्टि के पहले शिल्पकार तथा वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की हर साल पूजा विधि विधान से की जाती है भगवान विश्वकर्मा ने ही ब्रह्मा जी के कहने पर सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इन्हें सृष्टि का पहला वास्तुकार कहा जाता है शास्त्रों तथा ग्रंथो में विश्वकर्मा जी को स्वर्ग लोक का भी वास्तुकार कहा गया है। विश्वकर्मा पूजा कब है? तथा पूजा करने का शुभ मुहूर्त और विधि विधान के बारे में हम विस्तार से जाने वाले हैं
विश्वकर्मा पूजा कब है? 16 या 17 सितंबर को
पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास में कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था। इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन मंगलवार को है।
इस दिन घर, कंपनी, कारखाने, ऑफिस, दुकान आदि सभी जगहों पर रखे औजार, मशीन, वाहन आदि की पूजा की जाती है। या यू कहे की इस दिन लोहा, तांबा, कॉपर आदि धातुओं से बने सभी औजार व मशीनों की पूजा की जाती है।
इस दिन सभी प्रकार के औजार तथा मशीनों की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है ऐसा माना जाता है की पूजा करने से यह मशीनें आपकी तरक्की में आपका वर्ष भर साथ देती हैं और आपके काम को आगे ले जाती है।
हालांकि यह आपकी रोजी-रोटी से भी जुड़ा हुआ है इसलिए आप विश्वकर्मा पूजा के दिन मशीनों हजारों की विधि विधान से पूजा करें।
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विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 2024 तथा पूजा विधि
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:05 से 11:45 के बीच रहेगा आप इस समय के बीच कभी भी पूजा कर सकते हैं।
- सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें तथा साफ और स्वच्छ कपड़े पहने।
- भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए दिन की शुरुआत करें।
- घर, दुकान, कंपनी, कारखाने आदि में रखे मशीनों की अच्छी से साफ सफाई करें तथा वहां पर विश्वकर्मा जी की मूर्ति व फोटो को रखे।
- भगवान विश्वकर्मा को चावल, दूध, दही, धूप, रोली, सुपारी, फल, फूल, दीपक, मिठाई आदि अर्पित करें।
- औजारों तथा मशीनों की पूजा करें तथा रोली का टिका लगाए।
- धूप और अगरबत्ती जलाएं।
- भगवान विश्वकर्मा के मंत्र का जाप करते हुए मशीनों की पूजा करें।
- भगवान विश्वकर्मा की पूजा सच्चे मन से करे मनोकामना पूर्ण होगी।
- पूजा करने के बाद भगवान विश्वकर्मा के प्रसाद को घर परिवार दोस्त आदि में वितरण करें।
क्यों की जाती है विश्वकर्मा जी की पूजा
भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तब सृष्टि का ढांचा बनाने की जिम्मेदारी भगवान विश्वकर्मा को सौंपी भगवान विश्वकर्मा ने सबसे पहले सृष्टि का ढांचा तैयार किया इसलिए इन्हें सृष्टि का पहला वास्तुकार तथा इंजीनियर माना जाता है।
विष्णु पुराण के पहले अंश में विश्वकर्मा जी को देवताओं का देव बढ़ई कहा गया है।
भगवान विश्वकर्मा ने रावण का पुष्पक विमान बनाया था जिसका उपयोग रावण ने माता सीता का हरण करने के लिए किया।
शिल्पकार के ग्रंथो में इन्हें सृष्टि करता भी कहा गया है। ग्रंथो में भगवान विश्वकर्मा के पांच स्वरूपों व अवतार का वर्णन है जो इस प्रकार है। विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी विश्वकर्मा सुधन्वा विश्वकर्मा, भृंगुवंशी विश्वकर्मा।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
सनातन धर्म में विश्वकर्मा पूजा का बहुत ही बड़ा महत्व है ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा करने से कार्य में तरक्की होती है।
तथा नए निर्माण कार्य में आने वाली सभी प्रकार की बढ़ाएं दूर होती है।
प्रभु विश्वकर्मा की पूजा करने से किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य में कभी भी बाधा नहीं आती।
नया कार्य कुशल मंगल से संपन्न हो जाता है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा क्यों की जाती है?
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का वास्तुकार माना जाता है ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने में किसी भी नए निर्माण कार्य में कभी भी बाधा उत्पन्न नहीं होती है।
वह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो जाता है।
FAQ
उत्तर- भगवान विश्वकर्मा जी वास्तुदेव के पुत्र थे।
उत्तर- 2024 में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को है।
उत्तर- यह एक नही है क्योंकि विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन तथा गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है।
उत्तर- विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा तथा मशीन और औजारों की पूजा की जाती है।
उत्तर- विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी भी प्रकार के औजारों का इस्तेमाल नही करना चाहिए।
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