सबसे ज्यादा त्योहार हिंदू धर्म में मनाए जाते है। हर दिन कोई न कोई त्योहार अवश्य रहता है। सभी त्योहार का एक महत्व होता है। उन्ही त्योहारों में से एक है जितिया का त्योहार, जितिया का त्योहार माता अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए रखती हैं। तो आईए जानते हैं की जितिया कब है (Jitiya Kab Hai?).
जितिया कब है? Jitiya Kab Hai? – जुतिया कब है?
भारत के गावों में जितिया को जुतिया तथा जीवित पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। जितिया का व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्ठमी को हर वर्ष जितिया का व्रत किया जाता है। जुतिया का व्रत 25 सितंबर 2024 के दिन पड़ रहा है। जितिया के दिन माताएं निर्जला उपवास रखकर अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वस्थ तथा उज्ज्वल भविष्य की कमाना करती हैं।
जितिया का व्रत कैसे रखें। – जीवित पुत्रिका व्रत कैसे रखें।
जीवित पुत्रिका यानी जितिया का व्रत तीन दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाये खाये, दूसरे दिन निर्जला व्रत तथा तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है।
जितिया (जीवित पुत्रिका) का पहला दिन – नहाये खाए 24 सितम्बर
इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती है स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर, अपना श्रृंगार करके पूजा करती है।
इस दिन भोजन सूर्यास्त से पहले बनाया जाता है। तथा बनाए गए भोजन में लहसुन तथा प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है।
भोजन सूर्यास्त से पहले ही किया जाता है।
इस दिन भोजन में तरुई (सरपुतिया) की सब्जी बनाना अनिवार्य है।
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जितिया (जीवित पुत्रिका) का दूसरा दिन – निर्जला उपवास का दिन 25 सितम्बर
जीवित पुत्रिका का व्रत इसी दिन किया जाता है जो 2024 में 25 सितंबर को है।
पहले दिन की भाती इस दिन भी महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर कर साफ व स्वच्छ वस्त्र पहन कर पूजा करती हैं पूजा करने के बाद दिन भर निर्जला उपवास रहने की प्रतिज्ञा लेती है।
जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन चील, जीमूत वाहन तथा सियारिन की मूर्ति मिट्टी से बनाने का रिवाज है।
शाम के समय सभी महिलाएं किसी नदी, तालाब के किनारे जाकर पूजा की जाती है।
पूजा करने के लिए सभी आवश्यक सामग्री तथा जितिया का धागा लेकर महिलाए पूजा करती है।
पूजा किया हुआ जितिया का धागा बच्चों के गले में पहनाया जाता है।
जितिया (जीवित पुत्रीका) का तीसरा दिन – पारण का दिन 26 सितम्बर
जितिया व्रत के पारण वाले दिन सुबह स्नान करके विधि विधान से पूजा करके बच्चों के गले से जितिया का धागा निकालकर महिलाए अपने गले में पहन लेती है।
गुड और चना खाकर व्रत का पारण किया जाता है।
जितिया व्रत का क्या महत्व है?
मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए रखा गया यह व्रत किसी भी बुरी स्थिति में उसकी रक्षा करता है। इस व्रत की रखने की परंपरा सदियों से चली जा रही है और हिंदू महिलाएं जितिया के दिन कठोर कठोर निर्जला व्रत रखकर अपनी संतान की लंबी आयु तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं।
जितिया के दिन राहुकाल का समय
जितिया के दिन राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए इस जितिया के दिन पूजा पर राहुकाल का समय 12 बजकर 11 मिनट से 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
राहुकाल के समय पूजा नही करनी चाहिए इस समय पूजा करने का महत्व खत्म हो जाता है।
जो भी व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है उसका कोई लाभ नहीं होता है।
उत्तर- वर्ष2024 में जीवित्पुत्रिका का व्रत 25 सितंबर दिन बुधवार को पड़ रहा है।
उत्तर- जितिया व्रत में जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है।
उत्तर- गुण तथा अंकुरित चना खाकर व्रत का पारण करना चाहिए।
उत्तर- जितिया व्रत रखने वाली महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए एक बूंद पानी नही पीना चाहिए।
उत्तर- जिन महिलाओं की तबियत खराब है या जिन बच्चों की मां नही है पिता उनके लिए व्रत रख सकते हैं।
उत्तर- जितिया का शुभ मुहूर्त 24 सितंबर 12 बजकर 40 मिनट से 25 सितंबर 12 बजकर 15 मिनट तक है।
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